shiv chalisa lyrics in gujarati pdf - An Overview
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अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥
शिव आरती
हनुमान चालीसा लिरिक्स
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी get more info ॥
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।